दिलीप कुमार साहब का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान है। देविका रानी (बॉम्बे टॉकीज़ की लोकप्रिय अदाकारा) ने उन्हें अपना स्क्रीन नाम 'दिलीप कुमार' दिया।
पहले उनके लिए उदय कुमार और वामन कुमार दो नामो को चुना गया था तथा बाद में उनका नाम दिलीप कुमार चुना गया तथा आज भी वो यही नाम से जाने जाते है |
दिलीप कुमार बॉलीवुड के पहले और सबसे प्रमुख अभिनेता है जो पाकिस्तान से है। वह पहले सुपरस्टार भी बने जिन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ट्रॉफी हासिल की थी।
उनके पिता लाला गुलाम सरवर फलों का काम करते थे और पेशावर और देवलाली में उनका मेवों का बाग था। लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब दिलीप कुमार की अपने पिता से खटपट रहने लगी और वो भागकर पुणे आ गए।
उस वक्त दिलीप कुमार की ज्यादा उम्र नहीं थी लेकिन काम करने का जोश खूब था। पुणे आने पर एक कैफे कॉन्ट्रैक्टर ने उनकी मदद की। अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ होने की वजह से उन्हें वहां एक नौकरी भी मिल गई और फिर कुछ वक्त बाद उन्होंने वहां के एक आर्मी क्लब में अपना सैंडविच स्टॉल शुरु किया, लेकिन जैसे ही ये कॉन्ट्रेक्ट खत्म हुआ वो सीधा मुंबई आ गए।
उस वक्त उनके पास 5000 रुपए थे और पिता से विवाद के बावजूद वो उनकी आर्थिक मदद करना चाहते थे। मुंबई आने पर उनकी मुलाकात एक नामी डॉक्टर से हुई जो उन्हे बॉंबे टाकीज ले गए और यहां दिलीप कुमार की मुलाकात एक्ट्रेस देविका रानी से हुई जो बॉम्बे टाकीज की मालकिन भी थीं। यहां दिलीप कुमार को 1250 रूपए सालाना की आय पर रख लिया गया।
उर्दू पर अच्छी पकड़ होने की वजह से वो कहानी लेखन में मदद करने लगे। यहां दिलीप कुमार की मुलाकात अशोक कुमार और कई कलाकारों से हुई। लेकिन देविका रानी को दिलीप कुमार में हमेशा ही एक एक्टर नजर आया। यही वजह रही कि देविका ने दिलीप को अपना नाम युसुफ से बदलकर दिलीप रखने को कहा और बाद में उन्हें 'ज्वार भाटा' नाम की फिल्म में लीड रोल में साइन कर लिया। और बस...यहीं से दिलीप कुमार के फिल्मी सफर की शुरुआत हुई।
दिलीप ने एक बार साइरा बानो के साथ फिल्म में काम करने से इंकार कर दिया। पर भाग्य के रूप में उन्होंने 1966 में 44 साल की उम्र में साइरा बानो शादी ली जिसमे साइरा बानो सिर्फ 22 वर्ष का थी।
'ज्वार भाटा' में दिलीप कुमार कोई छाप नहीं छोड़ पाए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर साल 1947 में उन्हें फिल्म 'जुगनू' मिली जो ब्लॉकबस्टर रही। इसके बाद तो उनकी तीन फिल्में आईं और तीनों लगातार हिट रहीं।
50 के दशक में भी दिलीप कुमार की सफलता का परचम लहराया। इस दौरान भी उन्होंने 'जोगन', 'तराना', 'हलचल', 'दीदार', 'नया दौर' और 'मुगले आजम' जैसी कई और हिट फिल्में दीं और इन्ही फिल्मों में निभाए किरदारों की वजह से उन्हें नया नाम मिला ट्रेजिडी किंग का।
देवदास दिलीप कुमार की सबसे हिट फिल्म थी देवदास दिलीप ने बाद में 1980 में हैदराबाद की लड़की असमा से शादी की लेकिन यह शादी लंबे समय तक नहीं टिकी। इस बारे में अपनी आत्मकथा, द सबस्टेंस एंड द शैडो में बोलते हुए, महान अभिनेता ने बताया कि यह उनके हिस्से पर एक गंभीर गलती थी - वह जो कुछ भूलना चाहता थे |
इसके बाद दिलीप कुमार ने हर तरह के किरदार निभाए, हर जॉनर की फिल्में कीं। एक तरफ रोमांटिक हीरो के रूप में दिलीप कुमार ने अपनी अमिट छाप छोड़ी वहीं दूसरी ओर सोशल ड्रामा और नेगेटिव शेड वाली फिल्मों में भी उन्होंने अपने खूब जलवे दिखाए। यानि हर दशक में एक वक्त पर दिलीप कुमार का ही जलवा देखने को मिला।
दिलीप कुमार पहले ऐसे एक्टर थे जिन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड मिला। पहला ही नहीं बल्कि वो अकेले ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने नौ फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं।
डायरेक्टर सुभाष घई के साथ उनकी सफल पार्टनरशिप रही। इन दोनों की जोड़ी ने 'विधाता', 'कर्मा' और 'सौदागर' जैसी हिट फिल्में दीं। लेकिन नब्बे के दशक में दिलीप कुमार ने कम फिल्में करनी शुरु कर दीं।
दिलीप कुमार का सबसे पसंदीदा खेल क्रिकेट है वोह क्रिकेट से प्यार करता है न केवल वह एक प्रशंसक है बल्कि वह अपने पुराने दिनों अच्छी तरह क्रिकेट खेलते थे । अभिनेता सैफ अली खान के स्वर्गीय पिता मंसूर अली खान पतौड़ी के साथ पहले के एक साक्षात्कार के अनुसार, दिलीप ने अपने युग में चैरिटी कार्यों में से एक के दौरान एक बहुत प्रसिद्ध गेंदबाज की गेंद पर एक बार 'छः' मारा था।
आखिरी बार बड़े परदे पर वो साल 1998 में आई फिल्म 'किला' में नजर आए थे। हालांकि 2001 में दिलीप कुमार ने अजय देवगन के साथ एक फिल्म साइन की लेकिन किन्हीं वजहों से ये फिल्म परदे पर नहीं आई।
इसके बाद उन्होंने फिल्मों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। इसके बाद 2000-2006 के बीच कांग्रेस की तरफ से उन्हें राज्यसभा सांसद के लिए नॉमिनेट किया गया। लेकिन 2011 तक आते आते उन्हें बीमारियों ने घेर लिया और उनकी तबियत दिनोदिन बिगड़ती चली गई।
बीच बीच में उनके निधन की अफवाहें भी खूब उड़ीं। 2013 में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और इससे पहले उनकी सर्जरी भी हुई। कुछ वक्त तक तबियत ठीक रही लेकिन उन्हें फिर न्यूमोनिया ने जकड़ लिया....और अब फिर से वो मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती हैं जहां वो जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ रहे हैं। सभी लोग उनके जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं।
HAPPY BIRTHDAY DILIP KUMAR SIR - 11 DECEMBER 2018