एक बार की बात हैं जापान के जनरल नबुंगा ने अपने शत्रुओं पर आक्रमण करने का फैसला लिया उसके पास कुछ ही सैनिक थे और शत्रुओं के पास ढेरों सैनिक थे. नबुंगा को खुद पर पक्का भरोसा था की वह जीत जायेगा लेकिन उसके सैनिक बहुत डरें हुए थे.
वह लड़ाई करने के लिए आगे बड़े रास्ते में “शिंटो श्राइन” नामक एक जगह पर वह विश्राम करने के लिए रुके. वहां रुक-कर नबुंगा ने भगवान् से प्राथना की और प्राथना करके बाहर आकर अपने सैनिकों से बोला, हम “टॉस” करेंगे.
अगर Head आया तो, समझो हमारी जीत पक्की और अगर Tail आया तो समझो हम हार जायेंगे. चलो देखते हैं हमारा भाग्य क्या हैं. उसने सिक्का उछाला, और Head आया. उसके सैनिकों का होसला बढ़ गया “उसके सैनिकों को यह पक्का विश्वाश हो गया की परमात्मा हमारे साथ है” इसलिए वह पुरे जोश और जुनून से दुश्मन का सफाया करने के लिए कदम आगे बढ़ाने लगें.
अगले दिन जब शत्रु हार की कगार पर थे तब एक सैनिक ने नबुंगा से कहा, “भाग्य को कोई नहीं बदल सकता”. यह सुनकर नबुंगा मुस्कराया ओर कहा, हां तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो, और फिर नबुंगा ने उस सैनिक को वह टॉस का सिक्का दिखाते हुए कहा जिसमें दोनों ओर हेड ही था – अब बताओ भाग्य कौन बनाता हैं.
हम ही हमारे भाग्य के निर्माता हैं, इसलिए कभी किसी के कहने पर पीछे मत हठ जाना. जीत और हार हमारे ही हाथों में होती हैं. जीवन के हर पहलु के निर्माता हम ही हैं ओर कोई नहीं. भाग्य जैसी कोई चीज नहीं होती, इस पर विश्वाश मत करो.